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विद्यार्थियों की जान से खिलवाड़ – बेखबर अधिकारी

  • केमिशीला जनजातीय आश्रम विद्यालय में गंभीर लापरवाही उजागर
  • बासी और कीड़े लगे खाद्य पदार्थ, अधूरी मेन्यू व्यवस्था – रिपोर्टर टीवी ने कलेक्टर को सौंपे सबूत

पार्वतीपुरम मन्यम जिला, आंध्र प्रदेश – केमिशीला जनजातीय कल्याण आश्रम बालक छात्रावास में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर भयावह लापरवाही सामने आई है। बासी खाद्य सामग्री, अधूरी पोषण व्यवस्था, और ज़िम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी ने जनजातीय विद्यार्थियों की जान खतरे में डाल दी है।

रिपोर्टर टीवी के एक पत्रकार ने शुक्रवार को दोपहर भोजन के समय छात्रावास का औचक निरीक्षण किया। विद्यालय में कक्षा 3 से 8 तक कुल 71 विद्यार्थी दर्ज हैं, लेकिन मौके पर सिर्फ 17 विद्यार्थी ही उपस्थित थे। जब शेष छात्रों के बारे में पूछताछ की गई, तो वेलफेयर ऑफिसर ने न सिर्फ असभ्य व्यवहार किया, बल्कि पत्रकार से सवाल किया: “सवाल पूछने वाले तुम होते कौन हो?

मेन्यू का पालन नहीं, पोषण की भारी कमी

छात्रों से बातचीत में पता चला कि साप्ताहिक मेन्यू का पालन नहीं किया जा रहा है। सप्ताह में सिर्फ एक दिन अंडा दिया जाता है, दूध पूरी तरह बंद है, और पौष्टिक आहार का कोई अता-पता नहीं। डर के मारे बच्चे खुलकर बोल नहीं पाए, लेकिन इशारों और आँखों से स्थिति की गंभीरता बयान कर दी।

बासी खाद्य सामग्री – बच्चों के जीवन से खिलवाड़

जांच के दौरान छात्रावास परिसर में बासी और कीड़ों से भरे हुए चावल का आटा, बेल्लम (गुड़), मटर और दालें खुले में सूखते पाए गए। इनका रंग, गंध और स्थिति स्पष्ट रूप से खराब और अनुपयोगी थी।

जब अधिकारी से इस बारे में पूछा गया, तो उसने कहा कि ये सामान “जनजातीय सहकारी संस्था से ही आया है”, और इस तरह जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

अब सवाल यह उठता है – क्या सरकार ही ऐसे खराब खाद्य पदार्थ छात्रों को भेज रही है? या फिर स्थानीय वॉर्डन और कर्मचारी जानबूझकर छात्रों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं?

छात्रों पर दबाव, पत्रकारों को धमकी

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी कोई शिकायत की जाती है, छात्रों पर दबाव बनाया जाता है कि वे अधिकारियों के सामने सब कुछ ठीक बताएँ। निरीक्षण के समय विशेष भोजन दिखाया जाता है ताकि कोई दोष सामने न आए।

स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि पत्रकारों को धमकाया जा रहा है, और स्थानीय वॉर्डन और प्रधानाचार्य बिना किसी डर के काम कर रहे हैं। उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और संदिग्ध मौतें

इस छात्रावास में पहले भी छात्रों की अस्वस्थता और संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें हो चुकी हैं। यह स्थिति बताती है कि लापरवाही जानलेवा हो सकती है।

कानूनी पहलू: ये धाराएं लागू हो सकती हैं

यदि किसी व्यक्ति को मिलावटी या बासी भोजन से हानि या मृत्यु होती है, तो निम्नलिखित धाराओं के तहत कार्यवाही हो सकती है:

  • IPC धाराएं:

    • धारा 272, 273 – मिलावटी भोजन

    • धारा 337, 338 – लापरवाही से चोट या गंभीर चोट

    • धारा 304A – लापरवाही से मृत्यु

  • FSSAI एक्ट:

    • सेक्शन 26, 59 – मिलावटी / हानिकारक भोजन पर कार्रवाई

  • जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 (धारा 75) – बच्चों पर क्रूरता:

    • 3 साल तक की जेल और ₹1 लाख तक जुर्माना

कलेक्टर प्रभाकर रेड्डी को सौंपा गया सबूत

जब शुक्रवार को ज़िला कलेक्टर एन. प्रभाकर रेड्डी कुरुपाम क्षेत्र का दौरा कर रहे थे, तब रिपोर्टर टीवी के पत्रकार ने वीडियो, फ़ोटो और तथ्यात्मक प्रमाणों के साथ यह मुद्दा उनके सामने रखा। कलेक्टर ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया और शीघ्र ही कार्रवाई का आश्वासन दिया।


निष्कर्ष:

जनजातीय छात्रों की हालत किसी सरकारी संरक्षित संस्था जैसी नहीं, बल्कि उपेक्षित और अमानवीय हालात जैसी लगती है। अब ज़रूरत है कि सरकार और अधिकारी तत्काल सख्त कदम उठाएँ, दोषियों को सज़ा दी जाए और बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और पोषणयुक्त वातावरण सुनिश्चित किया जाए।

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