परवतिपुरम, आंध्र प्रदेश: सरकारें बदलती रहीं, वादे होते रहे, लेकिन आंध्र प्रदेश के परवतिपुरम ज़िले के एजेंसी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। खासकर सड़क सुविधा की भारी कमी इन ग्रामीणों की सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है।
कुरुपाम मंडल के थित्तिरी पंचायत के अंतर्गत आने वाला पुलुपट्टी गांव मुख्य सड़क से महज़ 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन वहां तक कोई पक्की या कच्ची सड़क नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को आपातकालीन स्थिति में मरीजों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को ‘डोली’ के सहारे पहाड़ों से नीचे लाकर सड़क किनारे खड़ी एम्बुलेंस तक पहुंचाना पड़ता है।
आसपास के अन्य गाँव भी प्रभावित
पुलुपट्टी गांव के आस-पास के अन्य पहाड़ी गांव — मरीमाणुगुडा, चिंतमाणुगुडा, जम्मू नायडुगुडा और पोलमगुडा — भी वर्षों से इसी समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने अधिकारियों और नेताओं से गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
वादे हर बार, काम कभी नहीं
ग्रामीणों का आरोप है कि हर चुनाव के समय जनप्रतिनिधि गांव में आकर सड़क निर्माण के वादे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई मुड़कर नहीं देखता। पिछली सरकार से भी लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन वह भी इन दुर्गम क्षेत्रों की अनदेखी कर गई।
‘अब और डोली नहीं, हमें सड़क चाहिए’
अब ग्रामीण सरकार से साफ तौर पर मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इन गांवों तक सड़क सुविधा पहुंचाई जाए। “हम थक चुके हैं डोली में मरीजों को ढोते-ढोते। अब हमें वादे नहीं, सड़क चाहिए,” एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा।
एजेंसी क्षेत्र के इन आदिवासी इलाकों की हालत यह दर्शाती है कि विकास की दौड़ में ये समुदाय आज भी कितने पीछे छूटे हुए हैं। अब सवाल यह है — क्या सरकार इन आवाज़ों को सुनेगी?