आंध्र प्रदेश के पल्नाडु ज़िले के दाचेपल्ली सरकारी जूनियर कॉलेज में रैगिंग की एक गंभीर घटना सामने आई है। इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष की एक छात्रा पर द्वितीय वर्ष के पांच छात्रों ने कथित रूप से हमला किया। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि छात्रा को जबरन बीसी हॉस्टल ले जाकर बेरहमी से पीटा गया।
परिजनों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस को शिकायत देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले की पूरी जानकारी अभी सामने आनी बाकी है।
इस घटना से जुड़े एक और सवाल ने लोगों को झकझोर दिया है — अगर इस पिटाई में छात्र की मौत हो जाती है, तो जिम्मेदार कौन होगा?
पुलिस का कहना है कि हमलावर नाबालिग हैं, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। लेकिन यदि उनकी मार से किसी छात्र की जान चली जाती है, तो जवाबदेही किसकी होगी? पुलिस को इस पर भी स्पष्टता देनी चाहिए।
यह मामला सिर्फ कानून दिखाकर मीडिया को चुप कराने का नहीं है। पीड़ित छात्र की बेरहमी से पिटाई करने के बाद अब कुछ लोग उसके खिलाफ झूठी बातें फैला रहे हैं। अधिकारियों को सोचना होगा कि पीड़ित को ही दोषी ठहराना कहां तक उचित है।
सरकार और पुलिस प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर उम्र का हवाला दिए बिना सख्त कार्रवाई की जाए।