देहरादून : उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल लाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत और तीन अन्य लोगों के खिलाफ सहसपुर जमीन घोटाले के मामले में विशेष अदालत में शिकायत दर्ज कराई है। ईडी की इस कार्रवाई के बाद शनिवार को हरक सिंह रावत ने प्रेस वार्ता कर तीखा पलटवार किया और इसे “राजनीति से प्रेरित” बताया।
“राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बन रहा हूं”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरक सिंह रावत ने केंद्र सरकार और ईडी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा,
“बीते एक साल से मेरा मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। ईडी सरकार के इशारे पर काम कर रही है और झूठे केस बनाकर मेरी छवि खराब करने की कोशिश हो रही है।”
रावत ने साफ किया कि यदि उनके खिलाफ लगे आरोप साबित हो जाते हैं, तो वह हमेशा के लिए राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उन्होंने कहा कि उनके पास जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज पूरी तरह वैध हैं और ईडी भी इस बात को जानती है।
ईडी पर दायर चार्जशीट को बताया “फर्जी”
पूर्व मंत्री ने ईडी द्वारा शुक्रवार को दायर की गई चार्जशीट को “पूरी तरह फर्जी और तथ्यहीन” करार दिया। उन्होंने कहा कि वे ईडी के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करेंगे क्योंकि उनके अनुसार यह सब कुछ राजनीतिक दबाव में हो रहा है।
“विपक्षी नेताओं को डराने का औजार बन गई है ईडी”
हरक सिंह रावत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज ईडी निष्पक्ष जांच एजेंसी न रहकर, एक राजनीतिक हथियार बन गई है।
“आज ईडी का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को डराने और बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट भी ईडी और सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुका है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के 198 नेताओं और सांसदों पर ईडी ने मुकदमे दर्ज किए हैं, लेकिन सिर्फ दो मामलों में ही ईडी सबूत पेश कर सकी है।
क्या है पूरा मामला?
शुक्रवार को ईडी ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि देहरादून के सहसपुर इलाके में जमीन की धोखाधड़ी से संबंधित केस की जांच की जा रही है। मामला भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर पर आधारित है।
ईडी के अनुसार, दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा ने कथित रूप से हरक सिंह रावत, बीरेंद्र सिंह कंडारी और स्व. सुशीला रानी की मदद से अवैध तरीके से जमीन अपने नाम करवाई।
इसके बाद उक्त जमीनें सरकारी सर्किल दरों से बेहद कम दामों पर खरीदी गईं, जो अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित) का हिस्सा हैं, जिसका नियंत्रण हरक सिंह रावत और उनके नजदीकी लोगों के पास है।
जैनी प्रकरण का भी दिया हवाला
हरक सिंह रावत ने कहा कि इससे पहले भी जैनी प्रकरण में उन्हें झूठे केस में फंसाने की कोशिश हुई थी, लेकिन वह क्लीन चिट पाने में सफल रहे। उन्होंने दावा किया कि यह मामला भी राजनीतिक साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है।