नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जारी विनाशकारी युद्ध फरवरी 2026 में अपने चार साल पूरे करने जा रहा है, लेकिन अभी तक इसके थमने के कोई ठोस संकेत नहीं हैं। लाखों सैनिकों की जान जा चुकी है, हजारों इमारतें खंडहर बन चुकी हैं, और आम नागरिकों का जीवन नरक बन गया है। दोनों देशों की जिद, शर्तें और रणनीतिक एजेंडे एक स्थायी समाधान में सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ रहे हैं।
वार्ता ठप, बमबारी जारी
हालांकि युद्धविराम और शांति वार्ता की कोशिशें हुई हैं, लेकिन हर बार या तो वार्ता अधूरी रह गई या हालात और बदतर हो गए। रूस और यूक्रेन दोनों मौका मिलते ही एक-दूसरे पर मिसाइलें और ड्रोन से हमला कर रहे हैं। आम नागरिकों की जानें जा रही हैं, महिलाएं विधवा हो रही हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं, और गांव-शहर खंडहर में बदल रहे हैं।
‘मीट ग्राइंडर’ रणनीति से भारी नुकसान
रूस इस युद्ध में अपनी कुख्यात “मीट ग्राइंडर” रणनीति का उपयोग कर रहा है, जिसमें सैनिकों की जान की परवाह किए बिना लगातार हमले किए जाते हैं। यह रणनीति भले ही कुछ सैन्य सफलताएं दिला रही हो, लेकिन इसके चलते रूस को भारी मानवीय क्षति उठानी पड़ी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक-एक वर्ग किलोमीटर कब्जा करने के लिए दर्जनों सैनिकों की जान जा रही है।
मौत का आंकड़ा: लाखों की जानें गईं
युद्ध में अब तक मारे गए सैनिकों और नागरिकों की सही संख्या स्पष्ट नहीं है, लेकिन कई स्वतंत्र और सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक:
10 लाख से अधिक रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए (ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय)
46,000 से अधिक यूक्रेनी सैनिकों की मौत (यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की)
12,654 से अधिक आम नागरिकों की जानें गईं (UN रिपोर्ट)
77,000+ लोगों की पुष्टि हुई मौत (ULosses प्रोजेक्ट)
2520 बच्चे मारे गए या घायल हुए (UNICEF)
यूक्रेन की ज़मीन पर रूस का कब्ज़ा
CNN की रिपोर्ट बताती है कि अब तक रूस यूक्रेन के 18% हिस्से पर कब्जा कर चुका है, जिसमें डोनबास और क्रीमिया शामिल हैं। युद्ध के चलते यूक्रेन की जमीन और अर्थव्यवस्था दोनों सिकुड़ चुके हैं।
20 लाख बेघर, 10 मिलियन विस्थापित
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों के मुताबिक, युद्ध के चलते यूक्रेन में 20 लाख लोग बेघर हो चुके हैं, जबकि 1 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हैं—कुछ आंतरिक रूप से, और बाकी विदेशों में शरण लिए हुए हैं।
खरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान
यूक्रेन को नुकसान: अनुमानित $400–500 अरब तक
रूस का युद्ध खर्च: $300 अरब (2025 तक)
कुल नुकसान: लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक
क्या यूक्रेन युद्ध जीत सकता है?
यूक्रेन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है—सैनिकों की कमी। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सैन्य भर्ती की आयु घटाकर 25 वर्ष कर दी है, लेकिन फिर भी आवश्यक संख्या में सैनिक नहीं मिल रहे। पश्चिमी देशों से मिलने वाला समर्थन भी अब धीरे-धीरे सीमित होता जा रहा है।
निष्कर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को यह दिखा दिया कि सत्ता, सामरिक हित और अड़ियल रवैया जब मानवता पर हावी हो जाते हैं, तो इसका परिणाम केवल मौत और बर्बादी होता है। अब यह युद्ध सिर्फ दो देशों का नहीं, बल्कि वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है।
क्या पुतिन और जेलेंस्की कोई समझौता कर सकेंगे?
यह प्रश्न अब पूरी दुनिया पूछ रही है, लेकिन इसका जवाब शायद समय ही देगा।