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यूपीआई क्रांति: जून में 18 अरब से अधिक लेनदेन, भारत दुनिया भर में अग्रणी देश बना

ई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट “ग्रोइंग रिटेल डिजिटल पेमेंट्स: वैल्यू ऑफ इंटरऑपरेबिलिटी” में भारत को तेज़ डिजिटल भुगतान प्रणाली के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश बताया गया है। इस ऐतिहासिक परिवर्तन की बुनियाद यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) है, जिसे 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने लॉन्च किया था।

यूपीआई ने भारत में पैसे भेजने और प्राप्त करने के पारंपरिक तरीकों में क्रांति ला दी है। मोबाइल ऐप्स से जुड़े बैंक खातों के माध्यम से केवल कुछ टैप में सुरक्षित, तेज़ और कम लागत वाला लेनदेन अब आम हो चुका है। यही वजह है कि हर महीने 18 अरब से अधिक यूपीआई लेनदेन दर्ज हो रहे हैं।

UPI के बढ़ते आंकड़े और प्रभावशाली ग्रोथ

प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने अपनी ‘बैकग्राउंडर्स सीरीज’ में जानकारी दी कि यूपीआई के आगमन ने देश को नकद और कार्ड-आधारित भुगतान पर निर्भरता से बाहर निकाला है और डिजिटल-फर्स्ट अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया है। जून 2025 में ही UPI के माध्यम से ₹24.03 लाख करोड़ से अधिक का भुगतान हुआ और 18.39 अरब लेनदेन दर्ज किए गए। पिछले वर्ष की तुलना में लेनदेन में 32% की वृद्धि दर्ज की गई है।

फिलहाल, 49.1 करोड़ उपयोगकर्ता और 6.5 करोड़ व्यापारी UPI प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। यह 675 से अधिक बैंकों को एकीकृत करता है, जिससे उपभोक्ता और व्यापारी किसी भी बैंक के खाते से सहजता से भुगतान कर सकते हैं।

भारत से वैश्विक विस्तार की ओर UPI

UPI का प्रभाव अब भारत तक सीमित नहीं है। संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे देशों में भी इसका उपयोग शुरू हो चुका है। खास बात यह है कि फ्रांस पहला यूरोपीय देश बना है जिसने UPI सिस्टम को अपनाया है, जिससे भारतीय पर्यटकों और प्रवासियों को विदेशी लेनदेन में बड़ी राहत मिल रही है।

PIB के अनुसार, भारत अब ब्रिक्स (BRICS) देशों में भी UPI को एक साझा डिजिटल भुगतान मानक के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय प्रेषण में पारदर्शिता और गति आएगी और भारत की वैश्विक टेक लीडर के रूप में पहचान और मजबूत होगी।

UPI बना वित्तीय समावेशन का आधार

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि यूपीआई महज एक भुगतान प्रणाली नहीं, बल्कि विश्वास, सुविधा और सुलभता का प्रतीक बन चुका है। इसका व्यापक उपयोग यह दर्शाता है कि भारत कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

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